जो बीत गई , सो बीत गई।
जब दीपिका पादुकोण ने "पीकू" फिल्म की सक्सेस पार्टी
दी , तो उसमे अमिताभ बच्चन नजर नही आए , लोगो ने
सोचा जरूर कोई हेल्थ प्रोब्लम होगी, लेकिन एक इंटरव्यू
में "अमिताभ" जी ने कहा कि उस पार्टी में नही गया क्यों
की मुझे इनवाइट नही किया गया,।
जब यह बात "दीपिका" जी को पता चली तो , उसने
मीडिया वालो के जरिए ये स्पष्ट किया की यह कोई
टेक्निकल एरर था, जिस वजह से इन्विटेशन नही पहुंच
पाया।
जब "वजीर" फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर "अमिताभ" फिर
मीडिया से मुखातिब हुए, इस दौरान जब एक पत्रकार ने
दीपिका वाले मामले पर पूछा की क्या आपने "दीपिका "
जी को माफ कर दिया?
उन्होंने अपने बाबूजी "हरिवंश राय बच्चन" जी की कविता सुना दी , उन्होंने कहा:
जो बीत गई, सो बीत गई।
जीवन में एक सितारा था,
माना वो बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया।
अंबर के आनन को देखो,
कितने उसके तारे टूटे,
कितने उसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहा मिले,
पर बोलो टूटे तारों पर कब,
अंबर शोक मनाता है??
जो बीत गई सो बीत गई।
"बिग बी" ने कविता के जरिए लोगो को संदेश दिया की
बीती बातों को भूल जाना चाहिए, किसी बात का शोक
मनाते रहने से कोई फायदा नही है। वैसे उन्होंने कविता
का सिर्फ एक पैरा सुनाया , लेकिन मैं यहा आपको और
दो पैरा बता रही हूं, कविता में आगे लिखा है:
जीवन में वह था एक कुसुम।
थे उसपर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया,
मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियां।
मुरझाई कितनी वल्लरियां,।
जो मुरझाई फिर कहा खिली,
पर बोलो सूखी फूलो पर ,
कब मधुवन शोर मचाता है?
जो बीत गई सो बीत गई।
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन मन दे डाला था।
वह टूट गया तो टूट गया,
मदिरालय का आंगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते है,
गिर मिट्टी में मिल जाते है।
जो गिरते है कब उठते है,
पर बोलो टूटे प्यालों पर ,
कब मदिरालय पछताता है?
जो बीत गई सो बीत गई।
बात पाते की :
📌पुरानी बातो को पकड़ कर बैठने से, किसी और
को नही हम खुद को ही तकलीफ पहुंचते है। बेहतर
है बीती बातो को भूल जाएं । आगे बढ़े।और खुश रहें।
📌जो बात बीत गई है और अब हम उस घटना
को सुधार नही सकते, तो बेहतर है की उसे छोड़ कर
आगे बढ़ जाए। जिंदगी चलने का नाम है।
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